सुप्रभात दोस्तों, सम्मानित अतिथियों और मेरे प्यारे सहपाठियों,
आज हम यहाँ एक महत्वपूर्ण अवसर पर एकत्रित हुए हैं, जो न केवल हमारे देश के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए महत्वपूर्ण है। आज, 2 अक्टूबर, हम महात्मा गांधी की जयंती मनाते हैं। यह दिन हमें उनकी अद्वितीय सोच, संघर्ष और सत्य और अहिंसा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की याद दिलाता है। महात्मा गांधी, जिन्हें हम प्रिय से "बापू" के नाम से जानते हैं, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता थे।
महात्मा गांधी का जीवन परिचय
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में प्राप्त की और फिर उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड गए। वहाँ पर कानून की पढ़ाई करते समय, उन्होंने अपने देश के प्रति एक गहरी संवेदना विकसित की। दक्षिण अफ्रीका में रहने के दौरान, उन्होंने रंगभेद के खिलाफ संघर्ष किया, जो उनके जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।
गांधी जी ने अपने अनुभवों से सीखा कि अन्याय और उत्पीड़न के खिलाफ खड़ा होना आवश्यक है। उन्होंने वहाँ "सत्याग्रह" का सिद्धांत विकसित किया, जो न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में एक प्रेरणास्त्रोत बना।
सत्य और अहिंसा का सिद्धांत
गांधी जी की सोच का मूल तत्व था "सत्य" और "अहिंसा"। उन्होंने विश्वास किया कि सच्चाई के मार्ग पर चलने से मनुष्य की आत्मा को शक्ति मिलती है। उन्होंने यह भी बताया कि अहिंसा केवल किसी भी प्रकार की हिंसा से बचना नहीं है, बल्कि यह एक सक्रिय प्रयास है, जिससे हम अपने विचारों को नकारात्मकता से दूर रख सकें।
गांधी जी ने अपने जीवन में कई बार इस सिद्धांत का पालन किया। उनका प्रसिद्ध "दांडी मार्च" 1930 में ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ था, जिसमें उन्होंने नमक पर कर लगाने के विरोध में 240 मील की यात्रा की। यह मार्च न केवल एक विरोध था, बल्कि यह एक प्रेरणा बना, जिसने लाखों लोगों को स्वतंत्रता की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में गांधी जी का योगदान
गांधी जी का योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अविस्मरणीय है। उन्होंने भारतीय जनता को एकजुट किया और उन्हें सशक्त बनाया। उन्होंने अनेक आंदोलन चलाए जैसे "नमक सत्याग्रह", "भारत छोड़ो आंदोलन", और "कृषि आंदोलन"। उनके नेतृत्व में, लोगों ने अपने अधिकारों के लिए खड़ा होना सीखा और अहिंसक तरीके से ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ आवाज उठाई।
गांधी जी ने यह भी सुनिश्चित किया कि स्वतंत्रता केवल एक राजनीतिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक समानता की दिशा में भी होनी चाहिए। उन्होंने भारतीय समाज के भीतर जातिवाद, छुआछूत और अन्य सामाजिक बुराइयों के खिलाफ भी संघर्ष किया।
गांधी जी की शिक्षाएँ और उनका महत्व
गांधी जी की शिक्षाएँ आज भी हमारे लिए प्रासंगिक हैं। उनका संदेश "आपको वह परिवर्तन बनना है जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं" हमें सिखाता है कि परिवर्तन हमारी अपनी सोच और कार्यों से शुरू होता है।
आज, जब हम समाज में व्याप्त हिंसा, असहिष्णुता और अन्याय को देखते हैं, गांधी जी का अहिंसा का सिद्धांत हमें सही मार्ग दिखाता है। वे हमें सिखाते हैं कि किसी भी समस्या का समाधान संवाद और समझ के माध्यम से किया जा सकता है, न कि संघर्ष और हिंसा के द्वारा।
शिक्षा का महत्व
गांधी जी का मानना था कि शिक्षा केवल ज्ञान का संचय नहीं है, बल्कि यह चरित्र निर्माण का एक महत्वपूर्ण साधन है। उन्होंने कहा था, "शिक्षा का उद्देश्य आत्म-निर्भरता और आत्म-निर्णय है।"
हमारे समाज में, शिक्षा का महत्व अत्यधिक है। आज के युवा, जो भविष्य के नेता हैं, उन्हें गांधी जी के सिद्धांतों को अपने जीवन में अपनाना चाहिए। शिक्षा के माध्यम से हम न केवल अपने ज्ञान में वृद्धि कर सकते हैं, बल्कि सामाजिक बदलाव में भी योगदान दे सकते हैं।
पर्यावरण संरक्षण
गांधी जी का विचार था कि मनुष्य और प्रकृति के बीच एक सामंजस्य होना चाहिए। आज, जब हम जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और अन्य पर्यावरणीय समस्याओं का सामना कर रहे हैं, हमें उनके सिद्धांतों की याद दिलाती है कि हमें प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना चाहिए।
हम सभी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम अपने जीवन में हर छोटे कदम के माध्यम से पर्यावरण की रक्षा करें। चाहे वह प्लास्टिक का कम उपयोग करना हो, पेड़ लगाना हो, या ऊर्जा की बचत करना हो, ये सभी छोटे कदम मिलकर बड़े बदलाव ला सकते हैं।
गांधी जी की विश्व शांति की दृष्टि
गांधी जी ने हमेशा वैश्विक शांति की बात की। उन्होंने विश्वास किया कि मानवता का उत्थान तभी संभव है जब हम एक दूसरे के साथ सहिष्णुता और प्रेम से पेश आएं। उन्होंने यह बताया कि किसी भी समस्या का समाधान संवाद और समझ के माध्यम से किया जा सकता है।
आज, जब हम दुनिया में विभिन्न प्रकार के संघर्ष देख रहे हैं, गांधी जी का संदेश हमें सिखाता है कि शांति और सहिष्णुता का मार्ग अपनाना ही सबसे अच्छा उपाय है।
निष्कर्ष: एक नई दिशा की ओर
गांधी जयंती पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने जीवन में गांधी जी के सिद्धांतों को अपनाएंगे। हम सत्य, अहिंसा और प्रेम के मार्ग पर चलेंगे।
आइए, हम मिलकर एक ऐसा समाज बनाएं जहाँ हर व्यक्ति को समान अधिकार मिले, जहाँ हम सभी एक-दूसरे के प्रति संवेदनशील और सहिष्णु हों। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम गांधी जी की शिक्षाओं को न केवल याद करें, बल्कि उन्हें अपने जीवन में आत्मसात करें।
इस अवसर पर, हम सभी को यह प्रण लेना चाहिए कि हम अपने जीवन में गांधी जी के सिद्धांतों का पालन करेंगे और एक बेहतर समाज की ओर अग्रसर होंगे।
धन्यवाद!